भारतीय रक्षा मंत्रालय जल्द ही मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (MTA) के लिए आरएफपी (RFP) जारी करने की तैयारी में है। इस बड़ी खबर के बीच, रूसी डिफेंस इंडस्ट्री ने इस मुकाबले में फिर से शामिल होने के लिए कमर कस ली है।
रूस की सरकारी हथियार निर्यातक एजेंसी, रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि वे भारतीय वायु सेना की जरूरतों का गहराई से अध्ययन करेंगे। मॉस्को का लक्ष्य एक ऐसा विमान पेश करना है जो पिछली तकनीकी कमियों को दूर करे और भारत के पुराने होते ट्रांसपोर्ट बेड़े को बदलने की दौड़ में पश्चिमी देशों के विमानों को कड़ी टक्कर दे सके।
पुरानी गलतियों से सीखा सबक
रूस की यह नई दिलचस्पी उस पुराने इंडो-रशियन मल्टी-रोल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (MTA) प्रोजेक्ट के बंद होने के बाद जागी है, जिसे Il-214 प्रोग्राम के नाम से भी जाना जाता था। करीब एक दशक पहले यह प्रोजेक्ट डिजाइन, समय सीमा और सबसे खास तौर पर इंजन टेक्नोलॉजी को लेकर हुए विवादों के कारण ठप हो गया था।उस समय भारतीय वायु सेना ने रूस द्वारा ऑफर किए गए एवियाडिगटेल PS-90A1 टर्बोफैन इंजनों को खारिज कर दिया था। विवाद की मुख्य वजह 'फैडेक' (FADEC) सिस्टम की कमी थी।
वायु सेना चाहती थी कि इंजन में पश्चिमी देशों के इंजनों (जैसे CFM56 या IAE V2500) की तरह आधुनिक फैडेक स्टैंडर्ड हो, जो कंप्यूटर के जरिए इंजन की परफॉर्मेंस और ईंधन की खपत को कंट्रोल करता है।
रूसी PS-90A1 इंजन पुराने हाइड्रो-मैकेनिकल सिस्टम पर चलता था, जो भारत की शर्तों पर खरा नहीं उतरा और नतीजा यह हुआ कि 2.5 अरब डॉलर की वह संभावित डील रद्द हो गई।
रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के एक अधिकारी ने पुराने मतभेदों को स्वीकार करते हुए कहा कि उस समय वायु सेना इंजनों पर फैडेक सिस्टम चाहती थी जो उनके पास नहीं था। उन्होंने इसे एक अंतरिम उपाय के तौर पर पेश किया था, लेकिन अब नए PD-14M इंजन के आने से यह समस्या खत्म हो जाएगी।
नया समाधान: PD-14M इंजन
इस तकनीकी कमी को पूरा करने के लिए रूस अब अपना नया और आधुनिक PD-14M इंजन पेश कर रहा है। यूनाईटेड इंजन कॉर्पोरेशन (UEC) द्वारा विकसित और 2023 में दुनिया के सामने लाया गया यह इंजन अपने पुराने संस्करणों से काफी बेहतर है।पुराने PS-90 सीरीज के विपरीत, PD-14M एक मॉडर्न हाई-बायपास टर्बोफैन इंजन है जो पूरी तरह से डिजिटल फैडेक सिस्टम से लैस है। इस नए प्रस्ताव की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- जबरदस्त थ्रस्ट: यह इंजन लगभग 18 टन का थ्रस्ट पैदा करने में सक्षम है, जो भारी वजन उठाने के लिए जरूरी है।
- बेहतर माइलेज: इसमें पिछली पीढ़ी के इंजनों के मुकाबले 15% कम ईंधन की खपत होती है।
- विश्वसनीयता: इसका ओवरहॉल इंटरवल करीब 10,000 घंटे का है, जिसका मतलब है कि इसके रखरखाव का खर्च काफी कम आएगा।
कड़ा मुकाबला और 'मेक इन इंडिया'
आने वाले टेंडर का मकसद एक ऐसा सिंगल प्लेटफॉर्म चुनना है जो वायु सेना के दो अलग-अलग तरह के विमानों—टैक्टिकल An-32 और भारी भरकम Il-76 स्ट्रेटेजिक ट्रांसपोर्टर—की जगह ले सके।हालांकि, रूस के लिए यह राह आसान नहीं है। उसे इस प्रोजेक्ट के लिए दुनिया की बड़ी कंपनियों से कड़ी टक्कर मिल रही है:
- एयरबस: जो अपना A400M एटलस विमान पेश कर रहा है।
- लॉकहीड मार्टिन: जो अपने भरोसेमंद C-130J सुपर हरक्यूलिस के साथ मैदान में है।
- एम्ब्रेयर: जो अपने C-390 मिलेनियम विमान को ऑफर कर सकता है।
जहाँ एक तरफ आलोचक PD-14M की सैन्य क्षमता के अपरीक्षित होने और यूक्रेन युद्ध के कारण स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई को लेकर सवाल उठा रहे हैं, वहीं रूस को भारतीय वायु सेना के साथ अपने पुराने और गहरे रिश्तों पर भरोसा है।
डील को आकर्षक बनाने के लिए, मॉस्को बड़े पैमाने पर 'ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी' (ToT) का ऑफर देने की तैयारी में है। इसमें भारत में ही मैन्युफैक्चरिंग लाइन स्थापित करना और लगभग 10,000 करोड़ रुपये के ऑफसेट शामिल हो सकते हैं, जिसके तहत सिमुलेटर और अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) जैसी तकनीकों में भी सहयोग दिया जा सकता है।
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