अस्त्र Mk2A की नई तस्वीरों ने 240+ किमी रेंज की क्षमता पर मुहर लगाई, दुश्मन के विमानों के लिए खतरे की घंटी

अस्त्र Mk2A की नई तस्वीरों ने 240+ किमी रेंज की क्षमता पर मुहर लगाई, दुश्मन के विमानों के लिए खतरे की घंटी


हाल ही में आयोजित एक एयरोस्पेस प्रदर्शनी से कुछ बेहद खास तस्वीरें सामने आई हैं, जिन्होंने डिफेंस एक्सपर्ट्स और रक्षा प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

'वायु एयरोस्पेस' द्वारा जारी की गई इन तस्वीरों में भारत की अगली पीढ़ी की 'एयर-टू-एयर' मिसाइल, अस्त्र Mk2A के मॉडल को बहुत बारीकी से देखा जा सकता है। ये नई तस्वीरें साफ इशारा कर रही हैं कि भारतीय वायु सेना की ताकत आने वाले समय में कई गुना बढ़ने वाली है।

इन विजुअल्स को देखकर यह स्पष्ट हो गया है कि इस मिसाइल के डिजाइन में काफी बड़े बदलाव किए गए हैं। इसका मुख्य मकसद मिसाइल की मारक क्षमता को बढ़ाना है, ताकि यह 200 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तक जाकर दुश्मन को निशाना बना सके। यह कदम सीधे तौर पर हमारे पड़ोसी विरोधियों की क्षमताओं को चुनौती देने के लिए उठाया गया है।

आकार में बड़ी और ज्यादा ताकतवर​

अगर हम इन नए मॉडल्स की तुलना सेना में पहले से शामिल 'अस्त्र Mk-1' से करें, तो यह साफ दिखता है कि नई मिसाइल का आकार काफी बड़ा है।

गनमेटल ग्रे रंग की इस मिसाइल पर DRDO का आधिकारिक निशान मौजूद है और इसका शरीर (एयरफ्रेम) पहले के मुकाबले काफी लंबा दिखाई दे रहा है।

तस्वीरों के विश्लेषण से पता चलता है कि अस्त्र Mk2A की लंबाई करीब 3.8 से 4 मीटर के बीच हो सकती है। यह पुरानी Mk-1 मिसाइल (जो 3.6 मीटर की थी) से लगभग 10 से 15 प्रतिशत ज्यादा लंबी है।

बदलाव सिर्फ लंबाई में ही नहीं हुआ है, बल्कि इसकी मोटाई भी बढ़ाई गई है। इसका डायमीटर (व्यास) पुराने 160 मिमी से बढ़कर अब लगभग 178 मिमी हो गया है।

इसके अलावा, मिसाइल को तेज रफ्तार पर स्थिर रखने के लिए इसमें बड़ी 'टेल फिन्स' लगाई गई हैं और इसकी नोक (नोज कोन) को पहले से ज्यादा नुकीला बनाया गया है, ताकि यह 'मैक 4' (ध्वनि की गति से 4 गुना) से भी तेज रफ्तार पकड़ सके।

रेंज बढ़ाने की खास इंजीनियरिंग​

तकनीकी जानकारों का मानना है कि इन बदलावों का सीधा असर मिसाइल की रेंज पर पड़ेगा। जहाँ पुरानी अस्त्र Mk-1 करीब 110 किलोमीटर तक मार करती थी, वहीं अस्त्र Mk2A को 240 से 250 किलोमीटर तक की दूरी तय करने के लिए डिजाइन किया गया है।

इतनी ज्यादा रेंज हासिल करने के लिए इसमें तीन मुख्य तकनीकें इस्तेमाल की गई हैं:
  1. ज्यादा ईंधन (प्रोपेलेंट): मिसाइल की चौड़ाई 178 मिमी करने से इसके अंदर ईंधन भरने के लिए ज्यादा जगह मिल गई है। विज्ञान के मुताबिक, चौड़ाई में 10% की बढ़ोतरी से इसमें करीब 20% ज्यादा प्रोपेलेंट आ सकता है।
  2. डुअल-पल्स मोटर: यह इस मिसाइल का सबसे बड़ा गेम-चेंजर है। इसमें 'डुअल-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर' का इस्तेमाल किया गया है। साधारण मिसाइलें अपना सारा ईंधन एक बार में जला देती हैं, लेकिन यह मोटर बीच में रुक सकती है और जरूरत पड़ने पर दोबारा चालू हो सकती है। इसका फायदा यह है कि मिसाइल आखिरी वक्त में (एंडगेम) पूरी ताकत से हमला करती है, जिससे दुश्मन के विमान का बचना नामुमकिन हो जाता है।
  3. स्मार्ट रास्ता (ट्रेजेक्टरी): यह मिसाइल अपने टारगेट तक जाने के लिए 'लॉफ्टेड ट्रेजेक्टरी' का इस्तेमाल करती है। यानी यह हवा में काफी ऊंचाई पर जाकर उड़ती है जहाँ हवा का दबाव कम होता है। इससे घर्षण कम होता है और मिसाइल की रेंज 30% तक और बढ़ जाती है।

रणनीतिक महत्व: चीन को सीधा जवाब​

अस्त्र Mk2A का विकास भारत की हवाई सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह सीधे तौर पर चीन की 'PL-15' मिसाइल का जवाब है। चीन की वह मिसाइल भी डुअल-पल्स तकनीक का इस्तेमाल करती है और उसकी रेंज 200 किलोमीटर से ज्यादा है। भारत अब इस मामले में बराबरी पर, या उससे भी आगे खड़ा होने की तैयारी में है।

ओपन सोर्स जानकारी और इन नई तस्वीरों से यह पक्का हो गया है कि इस मिसाइल को सुखोई-30 MKI और स्वदेशी तेजस फाइटर जेट्स पर तैनात किया जाएगा। इससे भारतीय वायु सेना को एक बहुत बड़ा रणनीतिक फायदा मिलेगा।

अब हमारे फाइटर जेट्स दुश्मन के सबसे कीमती विमानों—जैसे कि हवा में ईंधन भरने वाले टैंकर या 'अवाक्स' (AWACS) सिस्टम—को सुरक्षित दूरी से ही निशाना बना सकेंगे। यह पूरे क्षेत्र में हवाई युद्ध के संतुलन को पूरी तरह से भारत के पक्ष में कर देगा।
 
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