भारत साल के अंत तक फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल की तीसरी और आखिरी खेप सौंपने को तैयार

भारत साल के अंत तक फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल की तीसरी और आखिरी खेप सौंपने को तैयार


दक्षिण पूर्व एशिया की सुरक्षा और भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षमता के लिए एक बहुत बड़ी खबर सामने आ रही है। भारत अब फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का तीसरा और आखिरी बैच भेजने की पूरी तैयारी कर चुका है।

उम्मीद है कि साल 2025 खत्म होने से पहले यह खेप फिलीपींस पहुंच जाएगी। इसके साथ ही जनवरी 2022 में दोनों देशों के बीच हुआ 375 मिलियन डॉलर (करीब 3,100 करोड़ रुपये) का ऐतिहासिक डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट पूरा हो जाएगा।

यह डील भारत के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि यह खतरनाक हथियारों के निर्यात का पहला बड़ा सौदा था। इस सफलता ने न सिर्फ भारत और रूस के जॉइंट वेंचर को दुनिया भर में एक मजबूत सप्लायर के तौर पर स्थापित किया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि भारत अब एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉजी का एक प्रमुख निर्यातक बन चुका है।

इस पूरी प्रक्रिया को बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया है। आपको बता दें कि पहली मिसाइल बैटरी अप्रैल 2024 में भारतीय वायु सेना के C-17 ग्लोबमास्टर और Il-76 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए हवा के रास्ते भेजी गई थी। इसे तुरंत फिलीपींस मरीन कॉर्प्स की कोस्टल डिफेंस रेजिमेंट में शामिल कर लिया गया था।

इसके बाद, दूसरी बैटरी अप्रैल 2025 में समुद्री रास्ते से भेजी गई, जिससे मनीला की सुरक्षा और मजबूत हुई। अब तीसरी बैटरी के पहुंचने के साथ ही फिलीपींस के पास शोर-बेस्ड एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम का पूरा सेट तैयार हो जाएगा।

ये मिसाइलें 2.8 मैक की रफ्तार (आवाज़ से लगभग तीन गुना तेज) से हमला करने में सक्षम हैं और इनकी रेंज 290 किलोमीटर है। समुद्र में बढ़ती हलचल को देखते हुए फिलीपींस नेवी के लिए यह एक बहुत बड़ी ताकत साबित होगी।

इस डिलीवरी शेड्यूल की पुष्टि ब्रह्मोस एयरोस्पेस के CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर जयतीर्थ जोशी ने की है। सितंबर में रूसी मीडिया से बात करते हुए उन्होंने भरोसा दिलाया था कि पूरा प्रोग्राम अपने तय समय पर चल रहा है।

उन्होंने बताया कि यह सिर्फ हार्डवेयर या हथियार देने की बात नहीं है, बल्कि यह "सटीक मारक क्षमता वाली साझेदारी" है। इस पूरे पैकेज में फिलीपींस के सैनिकों की ट्रेनिंग, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट और हाई-मोबिलिटी वाले टाट्रा 6×6 लॉन्चर व्हीकल भी शामिल हैं। खास बात यह है कि इन गाड़ियों को फिलीपींस के उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) इलाकों और जंगलों में चलने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है।

फिलीपींस के रक्षा विभाग के लिए यह किसी बड़े बदलाव से कम नहीं है। हर मिसाइल बैटरी अपने आप में एक पूरी यूनिट होती है, जिसमें मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर्स, एडवांस फायर-कंट्रोल रडार और कमांड-एंड- कंट्रोल सेंटर शामिल होते हैं। फिलीपींस के डिफेंस सेक्रेटरी गिलबर्टो तियोदोरो ने इसे देश के मिलिट्री मॉडर्नाइजेशन का "आधारस्तंभ" बताया है।

दूसरी डिलीवरी मिलने के बाद, फिलीपींस की सेना ने भारतीय ट्रेनर्स के साथ मिलकर लाइव-फायर एक्सरसाइज भी की थी, जिसमें दुश्मन के जहाजों को निशाना बनाने का अभ्यास किया गया।

अनुमान है कि 2026 की शुरुआत तक तीनों बैटरियां पूरी तरह से नेटवर्क से जुड़ जाएंगी और काम करना शुरू कर देंगी। यह फिलीपींस के 'रिवाइज्ड आर्म्ड फोर्सेज मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम' के होराइजन 3 के तहत एक मजबूत सुरक्षा कवच तैयार करेगा।

फिलहाल नागपुर में ब्रह्मोस की फैसिलिटी में आखिरी तैयारियां चल रही हैं। वहां मिसाइलों का कैनीस्टराइजेशन और रडार सिस्टम का कैलिब्रेशन किया जा रहा है।

यह शिपमेंट सिर्फ हथियारों की सप्लाई नहीं है, बल्कि इसके गहरे भू-राजनीतिक मायने भी हैं। ऐसे समय में जब समुद्र में आवाजाही की आजादी को लेकर अक्सर विवाद होते रहते हैं, भारत द्वारा मनीला को सुपरसोनिक क्षमता देना रणनीतिक एकजुटता का सबूत है।

यह इस बात का भी साफ संकेत है कि नई दिल्ली एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध है। फिलीपींस के तटों पर ब्रह्मोस की तैनाती विस्तारवादी सोच के खिलाफ एक ठोस जवाब है और यह क्षेत्र की सुरक्षा को संतुलित करने में भारत की सक्रिय भूमिका को दर्शाता है।
 
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