भारत में जल्द बन सकता है इजरायल का 'अरबेल' सिस्टम, सैनिकों की राइफल बनेगी 'स्मार्ट' और गिरा सकेगी ड्रोन

भारत में जल्द बन सकता है इजरायल का 'अरबेल' सिस्टम, सैनिकों की राइफल बनेगी 'स्मार्ट' और गिरा सकेगी ड्रोन


भारतीय सेना के पैदल सैनिकों यानी इन्फैंट्री की ताकत को कई गुना बढ़ाने के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। भारत अभी इजरायल की एक बेहद आधुनिक और क्रांतिकारी तकनीक को अपने देश में ही बनाने के लिए बातचीत कर रहा है।

इजरायल की मशहूर डिफेंस कंपनी, आईडब्ल्यूआई (IWI) ने 'अरबेल' (ARBEL) नाम का एक सिस्टम तैयार किया है। यह सिस्टम साधारण राइफलों की सटीकता और मारक क्षमता को पूरी तरह बदल कर रख देगा।

इन्फैंट्री तकनीक में एक बड़ी छलांग​

हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरबेल सिस्टम को दुनिया का पहला पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड स्मॉल आर्म्स सिस्टम माना जा रहा है। इसे बनाने में करीब नौ साल का वक्त लगा है।

इस तकनीक का मुख्य मकसद इंसानी खामियों को दूर करके मशीन जैसी सटीकता हासिल करना है। आसान भाषा में कहें तो यह एक 'स्मार्ट' सिस्टम है जो लड़ाई के दौरान सैनिक से होने वाली गलतियों को कम करता है और निशाने को अचूक बनाता है।

इस तकनीक के काम करने का तरीका बेहद दिलचस्प है। इसमें हथियार के अंदर ही एक पूरा इलेक्ट्रॉनिक सुइट लगा होता है, जिसमें माइक्रोप्रोसेसर, मोशन सेंसर और एक ताकतवर बैटरी शामिल है।

जब कोई सैनिक फायर करता है, तो यह सिस्टम तुरंत सक्रिय हो जाता है। यह लगातार सैनिक के हाथों की स्थिरता और ट्रिगर दबाने के तरीके पर नजर रखता है।

जैसे ही इसका एल्गोरिदम यह भांप लेता है कि बंदूक का निशाना टारगेट पर बिल्कुल सटीक है, यह तभी अगली गोली को रिलीज करता है। इससे गोलियों की बर्बादी कम होती है और दुश्मन को हिट करने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

हर मौसम में कारगर और भरोसेमंद​

अरबेल सिस्टम की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे किसी कैमरा या ऑप्टिकल सेंसर की जरूरत नहीं होती। आजकल के कई आधुनिक फायर-कंट्रोल सिस्टम कैमरों पर निर्भर होते हैं, जो खराब मौसम में फेल हो जाते हैं।

लेकिन अरबेल सैनिक की अपनी आंखों के निशाने पर ही काम करता है। इसका मतलब है कि चाहे घना कोहरा हो, धूल भरी आंधी हो, धुआं हो या कम रोशनी हो—यह सिस्टम हर हालात में बेहतरीन काम करता है।

इसके अलावा, इसे 'प्लग-एंड-प्ले' के तौर पर डिजाइन किया गया है। यानी इसे AR-15 स्टाइल की राइफलों और नेगेव जैसी लाइट मशीन गन (LMG) पर आसानी से फिट किया जा सकता है।

नेगेव पहले से ही भारतीय सेना इस्तेमाल कर रही है। इसका फायदा यह है कि सेना को नए हथियार खरीदने पर भारी खर्च नहीं करना पड़ेगा, बल्कि पुराने हथियारों को ही अपग्रेड किया जा सकेगा। इस पूरे सिस्टम का वजन सिर्फ 400 से 900 ग्राम के बीच है, इसलिए सैनिकों पर ज्यादा बोझ भी नहीं पड़ता।

ड्रोन के खतरे से निपटने में सक्षम​

आजकल युद्ध के मैदान में छोटे FPV ड्रोन एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। अरबेल सिस्टम इस समस्या का भी समाधान देता है। इसके हाई-स्पीड सेंसर तेजी से और टेढ़े-मेढ़े भागने वाले टारगेट को भी ट्रैक कर सकते हैं।

यह सिस्टम सैनिकों को दिन की रोशनी में 450 मीटर तक की दूरी पर उड़ रहे ड्रोन को मार गिराने की क्षमता देता है।

आमतौर पर ड्रोन को गिराने के लिए महंगे एंटी-ड्रोन सिस्टम की जरूरत होती है, लेकिन यह तकनीक सैनिकों को राइफल से ही ड्रोन का मुकाबला करने की ताकत देती है।

मेक इन इंडिया के तहत निर्माण​

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि IWI इस सिस्टम को भारत में लाने के लिए पूरी तरह तैयार है। कंपनी के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि वे भारतीय ग्राहकों के साथ बातचीत कर रहे हैं।

अगर यह समझौता हो जाता है, तो अरबेल सिस्टम का निर्माण भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारत में ही किया जाएगा।

आपको बता दें कि IWI का भारत के साथ पहले से ही मजबूत रिश्ता है। यह कंपनी PLR सिस्टम्स जैसी भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर पहले से ही टावोर असॉल्ट राइफल और नेगेव LMG का निर्माण देश में कर रही है।

अगर अरबेल का उत्पादन भी भारत में शुरू होता है, तो यह न सिर्फ भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को मजबूती देगा, बल्कि भारतीय जवानों को आधुनिक युद्ध में एक निर्णायक बढ़त भी दिलाएगा।
 
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