ऑपरेशन सिंदूर: इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) ने कैसे रचा हवाई सुरक्षा का अभेद्य चक्रव्यूह, दुश्मन रह गया दंग

ऑपरेशन सिंदूर: इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) ने कैसे रचा हवाई सुरक्षा का अभेद्य चक्रव्यूह, दुश्मन रह गया दंग


हाल ही में संपन्न हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय वायु सेना ने अपनी ताकत और सटीकता का एक अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। इस ऑपरेशन में भारत के 'इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम' यानी IACCS ने एक नायक की भूमिका निभाई, जिसने न केवल दुश्मन के हमलों को हवा में ही नाकाम कर दिया, बल्कि भारतीय हवाई हमलों के लिए एक अचूक रणनीति भी तैयार की।

इस सफलता ने आधुनिक युद्ध में एक मजबूत एयर डिफेन्स सिस्टम के महत्व को फिर से साबित कर दिया है।

ऑपरेशन के दौरान, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्थित तेरह प्रमुख ठिकानों पर सटीक हमले किए। इन हमलों से दुश्मन की रक्षा प्रणाली पूरी तरह से चरमरा गई और उनका ऑपरेशनल ढाँचा ध्वस्त हो गया। इस जीत का सेहरा IACCS को जाता है, जिसने अपनी असाधारण क्षमताओं से भारत की रक्षा प्रणाली को फौलादी बना दिया।

क्या है यह IACCS सिस्टम?​

सरल शब्दों में, इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम भारतीय वायु सेना का दिमाग और आँखें हैं। यह एक ऐसा अत्याधुनिक ढाँचा है जो पूरे भारतीय हवाई क्षेत्र की पल-पल की जानकारी एक ही जगह पर उपलब्ध कराता है।

पहले के समय में, देश के अलग-अलग कोनों में लगे रडार अकेले काम करते थे, जिससे जानकारी को जोड़ने और तुरंत फैसला लेने में समय लगता था। IACCS ने इस कमी को दूर करते हुए सभी रडार, सेंसर और हवाई प्लेटफॉर्म को एक ही नेटवर्क में पिरो दिया है, जिससे एक एकीकृत और रियल-टाइम तस्वीर मिलती है।

यह सिस्टम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है और यह 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का एक चमकदार उदाहरण है।

कैसे हुआ इसका विकास?​

IACCS का विकास भारत में नेटवर्क सेंट्रिक ऑपरेशन्स (NCO) की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
  • शुरुआती दौर: पहले भारत की एयर डिफेन्स रणनीति पुराने रडार सिस्टम पर निर्भर थी, जो अलग-अलग काम करते थे और उन्हें एक साथ जोड़ना संभव नहीं था। इससे हवाई खतरों पर प्रतिक्रिया देने में काफी समय लग जाता था।
  • डिजिटल दौर: इसके बाद कम्युनिकेशन नेटवर्क को डिजिटल रूप से जोड़ने की नींव रखी गई, लेकिन डेटा ऑटोमेशन की क्षमता सीमित थी।
  • एकीकरण का दौर: असली कामयाबी तब मिली जब जमीन पर लगे रडार, हवा में उड़ते अवाक्स (AWACS), ड्रोन, लड़ाकू विमान और संचार उपकरणों जैसे सभी सेंसर को एक सेंट्रलाइज्ड नेटवर्क से जोड़ा गया। इस 'मल्टी-सेंसर फ्यूजन' तकनीक ने सेना को हमले और रक्षा दोनों के लिए एक साफ तस्वीर दी।
इसके अलावा, हमारे ऑपरेशनल क्रू को प्रशिक्षित करने के लिए एक 'सिमुलेशन पैकेज' भी विकसित किया गया, जो उन्हें वास्तविक युद्ध जैसी स्थितियों के लिए तैयार करता है।

क्यों है IACCS इतना महत्वपूर्ण?​

यह सिस्टम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कई मायनों में गेम-चेंजर है:
  1. हवाई क्षेत्र की पूरी जानकारी: यह देश भर में फैले सैकड़ों सेंसर से मिली जानकारी को मिलाकर आसमान की एक साफ और रियल-टाइम तस्वीर बनाता है, जिससे दोस्त और दुश्मन की पहचान तुरंत हो जाती है।
  2. तेज और बेहतर फैसले: जब पूरी तस्वीर साफ हो, तो खतरे का आकलन करने, टारगेट तय करने और संसाधनों को भेजने जैसे फैसले तेजी से और सटीकता से लिए जा सकते हैं।
  3. संसाधनों का सही उपयोग: यह सिस्टम लड़ाकू विमानों, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और एंटी-एयरक्राफ्ट तोपों को सही समय पर, सही जगह पर तैनात करने में मदद करता है।
  4. सेनाओं के बीच तालमेल: यह वायु सेना और थल सेना के बीच एक मजबूत तालमेल सुनिश्चित करता है। सेना का 'आकाशतीर' सिस्टम भी इससे बड़े पैमाने पर लाभान्वित होता है।
  5. दुश्मन के लिए Abschreckung (डिटरेंस): एक इतना मजबूत और एकीकृत एयर डिफेन्स सिस्टम संभावित दुश्मनों को हमारे हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर करता है।

अनोखी क्षमताएं और चुनौतियां​

IACCS की कुछ खासियतें इसे दुनिया के बेहतरीन सिस्टम में से एक बनाती हैं। यह 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)' और 'मशीन लर्निंग (ML)' का उपयोग करके खतरों का अपने आप आकलन करता है और उनसे निपटने का सबसे अच्छा तरीका सुझाता है। यह भारत की नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताओं की रीढ़ है। इसका एक बड़ा हिस्सा स्वदेशी होने के कारण इसे भारत की जरूरतों के हिसाब से बदलना और इसकी डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना आसान है।

हालांकि, इस उन्नत सिस्टम के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। आज भी कुछ पुराने सिस्टम जैसे मिग-21 बाइसन इंटरसेप्टर सेवा में हैं। ड्रोन के झुंड या स्टील्थ तकनीक वाले खतरों का पता लगाना एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा, एक हाई-टेक सिस्टम होने के नाते इस पर 'साइबर सिक्योरिटी' का खतरा हमेशा बना रहता है और दूरदराज के इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी एक बाधा है।

भविष्य की योजनाएं​

भविष्य में IACCS को और भी स्मार्ट बनाने की योजना है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग को और उन्नत किया जाएगा ताकि यह खुद से सीख सके। इसे भारत के सैन्य सैटेलाइट नेटवर्क के साथ और गहराई से जोड़ा जाएगा। ड्रोन के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए नई तकनीकें शामिल की जाएंगी और डेटा सुरक्षा के लिए 'क्वांटम कंप्यूटिंग' और 'क्वांटम कम्युनिकेशन' जैसी भविष्य की तकनीकों पर भी काम किया जा रहा है।

कुल मिलाकर, IACCS की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि भारत रक्षा प्रौद्योगिकी में एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। यह सिस्टम भारतीय सेना और वायु सेना की संयुक्त ताकत को एक नेटवर्क में बांधकर आधुनिक युद्ध की जरूरतों को पूरा करता है, जिससे भारत का आसमान पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित हो गया है।
 
अन्य भाषा में पढ़ें
अंग्रेजी

हाल के रिप्लाई

Forum statistics

Threads
4,735
Messages
53,217
Members
3,597
Latest member
capt mallick
Back
Top