तेजस Mk1A की डुअल पायलॉन पर लगेंगी दो ASRAAM मिसाइलें, डॉगफाइट में बनेगा और भी घातक

तेजस Mk1A की डुअल पायलॉन पर लगेंगी दो ASRAAM मिसाइलें, डॉगफाइट में बनेगा और भी घातक


भारत के स्वदेशी फाइटर जेट कार्यक्रम में एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। हाल ही में आई तस्वीरों ने रक्षा विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है, जिनमें हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस Mk1A को एक खास 'डुअल-पायलॉन' के साथ दिखाया गया है।

इस नए सिस्टम की मदद से तेजस अब एक ही जगह पर दो 'एडवांस्ड शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल' (ASRAAM) ले जा सकेगा, जिससे हवा से हवा में होने वाली नजदीकी लड़ाई (डॉगफाइट) में इसकी मारक क्षमता दोगुनी हो गई है।

यह महत्वपूर्ण तकनीक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा खास तौर पर तेजस Mk1A प्रोग्राम के लिए विकसित की गई है।

हाल ही में बेंगलुरु में हुए 'एयरो इंडिया 2025' के दौरान इस लड़ाकू विमान को अपनी नई ताकत के साथ प्रदर्शित किया गया, जो भारतीय वायु सेना की ऑपरेशनल जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

क्या है डुअल-पायलॉन और इससे क्या फायदा होगा?​

आसान भाषा में समझें तो 'पायलॉन' या 'हार्डपॉइंट' विमान के पंखों के नीचे वह जगह होती है, जहाँ मिसाइलें और बम लगाए जाते हैं।

'डुअल-पायलॉन' एक ऐसा खास रैक है जो एक ही हार्डपॉइंट पर दो मिसाइलों को फिट करने की सुविधा देता है।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि विमान की मारक क्षमता बढ़ जाती है और साथ ही दूसरे हार्डपॉइंट्स खाली रहते हैं। इन खाली हार्डपॉइंट्स पर बम, précision-guided हथियार या लंबी दूरी की अन्य मिसाइलें लगाई जा सकती हैं।

इससे तेजस एक ही मिशन में हवा से हवा और हवा से जमीन, दोनों तरह के लक्ष्यों को निशाना बना सकता है, जिससे यह एक सच्चा 'मल्टीरोल' फाइटर जेट बन गया है।

ASRAAM मिसाइल से तेजस बना और खतरनाक​

तेजस पर तैनात की गई ASRAAM मिसाइल को दुनिया की सबसे घातक शॉर्ट-रेंज मिसाइलों में से एक माना जाता है। इसे ब्रिटिश कंपनी MBDA ने विकसित किया है।

इसकी कुछ खास बातें हैं:
  • स्पीड: यह Mach 3 (ध्वनि की गति से तीन गुना तेज) से भी ज्यादा रफ्तार से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है।
  • एडवांस्ड सीकर: इसमें लगा 'इमेजिंग इंफ्रारेड सीकर' दुश्मन के विमान के इंजन की गर्मी को पहचानकर उसका पीछा करता है। यह इतना उन्नत है कि दुश्मन के विमान द्वारा छोड़े गए 'फ्लेयर्स' (मिसाइल को भटकाने वाले उपकरण) से भी धोखा नहीं खाता।
  • लॉक-ऑन आफ्टर लॉन्च: इसकी एक और बड़ी खासियत यह है कि इसे लॉन्च करने के बाद भी टारगेट पर लॉक किया जा सकता है, जिससे पायलट को हमला करने में ज्यादा आसानी होती है।
इन खूबियों के कारण ASRAAM मिसाइलों से लैस तेजस Mk1A दुश्मन के फाइटर जेट और ड्रोन के लिए नजदीकी लड़ाई में एक बहुत बड़ा खतरा बन गया है।

भविष्य की तैयारी: Astra मिसाइलों के लिए भी डुअल-पायलॉन​

HAL केवल ASRAAM तक ही नहीं रुक रहा है। सूत्रों के मुताबिक, भारत की अपनी स्वदेशी 'Astra' Mk1 और Mk2 मिसाइलों के लिए भी इसी तरह का 'डुअल-पायलॉन' विकसित किया जा रहा है।

Astra एक 'बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल' (BVR-AAM) है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है। यह पायलट की नजरों से दूर, यानी 100 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी पर मौजूद दुश्मन के ठिकानों को नष्ट कर सकती है।

भविष्य में जब तेजस पर Astra मिसाइलों के लिए भी डुअल-पायलॉन लग जाएंगे, तो यह विमान लंबी और छोटी, दोनों दूरियों पर एक साथ घातक साबित होगा।

वायु सेना की ताकत में बड़ा इजाफा​

यह अपग्रेड ऐसे समय में हुआ है जब भारतीय वायु सेना अपने फाइटर स्क्वाड्रन की कमी को पूरा करने की कोशिश कर रही है।

चीन के J-20 और पाकिस्तान के JF-17 जैसे आधुनिक विमानों से मिल रही क्षेत्रीय चुनौतियों के बीच, तेजस Mk1A का यह नया और शक्तिशाली रूप वायु सेना के लिए एक बड़ी राहत है।

एडवांस 'एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार', बेहतर 'एवियोनिक्स' और शक्तिशाली 'इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर' सिस्टम के साथ अब यह डुअल-पायलॉन क्षमता तेजस को दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमानों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देती है।

यह विकास 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान की दिशा में एक मील का पत्थर है, जो रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को और मजबूत करता है।
 
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