भारत ने दुनिया के सामने एक बड़ी सुरक्षा चिंता जाहिर की है। यह मामला बायोलॉजिकल वेपन्स (जैविक हथियारों) के संभावित गलत इस्तेमाल का है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा है कि आज दुनिया जिस तरह के अनिश्चित दौर से गुजर रही है, उसे देखते हुए इन खतरनाक हथियारों को रोकने के लिए एक मजबूत ग्लोबल मैकेनिज्म यानी वैश्विक तंत्र का होना बेहद जरूरी है।
अब दूर की बात नहीं रहा खतरा
विदेश मंत्री ने चेताया कि हमें इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि नॉन-स्टेट एक्टर्स (जैसे कि आतंकी संगठन) द्वारा जैविक हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ एक कोरी कल्पना है। उन्होंने कहा कि यह खतरा अब 'दूर की संभावना' नहीं रहा, बल्कि हकीकत बन सकता है।इस गंभीर चुनौती का सामना करने के लिए दुनिया के सभी देशों को एक साथ आना होगा और इंटरनेशनल को-ऑपरेशन बढ़ाना होगा।
BWC के पास बुनियादी ढांचे की कमी
एस. जयशंकर बायोलॉजिकल वेपन्स कन्वेंशन (BWC) के 50 साल पूरे होने पर आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने बायो-टेररिज्म (जैविक आतंकवाद) को एक गंभीर चिंता बताया, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पूरी तरह तैयार रहने की जरूरत है।उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि इतना समय बीत जाने के बाद भी BWC के पास बुनियादी ढांचागत कमियां हैं।
जयशंकर ने कहा, "अभी तक कोई ऐसा कंप्लायंस सिस्टम नहीं है जो नियमों के पालन को सुनिश्चित कर सके। न ही कोई परमानेंट टेक्निकल बॉडी है और न ही नई वैज्ञानिक गतिविधियों को ट्रैक करने का कोई मैकेनिज्म मौजूद है। अगर हमें दुनिया में भरोसा कायम करना है, तो इन खाली जगहों को भरना ही होगा।"
भारत ने दिया समाधान का सुझाव
भारत ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि BWC के भीतर कड़े नियम और आज की दुनिया के हिसाब से वेरिफिकेशन (जांच) की व्यवस्था होनी चाहिए। विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए सामग्री और उपकरणों के आदान-प्रदान और सहयोग का पूरा समर्थन करता है।उन्होंने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि साइंस और टेक्नोलॉजी में हो रहे बदलावों का लगातार और व्यवस्थित तरीके से रिव्यू किया जाए। ऐसा करने से ही यह सुनिश्चित हो पाएगा कि हमारी गवर्नेंस और नियम, नई खोजों और इनोवेशन के साथ कदम मिलाकर चल सकें।
क्या है BWC?
आपको बता दें कि बायोलॉजिकल वेपन्स कन्वेंशन (BWC) वह अंतरराष्ट्रीय संधि है जो जैविक हथियारों के विकास, उत्पादन और भंडारण पर पूरी तरह रोक लगाती है। यह संधि 1975 में लागू हुई थी।हालांकि, कोरोना महामारी के बाद से पूरी दुनिया में बायो-सेफ्टी और बायो-सिक्योरिटी को लेकर बहस छिड़ गई है, जिससे भारत का यह बयान रणनीतिक तौर पर काफी अहम माना जा रहा है।
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