ऑपरेशन सिंदूर में भारी आर्टिलरी हमलों के बाद आतंकी लॉन्च पैड्स हुए शिफ्ट, BSF ने की पुष्टि

ऑपरेशन सिंदूर में भारी आर्टिलरी हमलों के बाद आतंकी लॉन्च पैड्स हुए शिफ्ट, BSF ने की पुष्टि


कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों की मुस्तैदी और आक्रामक कार्रवाई ने सीमा पार बैठे आतंकियों की कमर तोड़ दी है। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) ने पुष्टि की है कि भारतीय बलों द्वारा किए गए भारी हमलों के बाद डर के मारे आतंकियों को अपने लॉन्च पैड्स की जगह बदलनी पड़ी है।

साल 2025 में BSF ने कश्मीर में न केवल सीमा की सुरक्षा की, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भी निर्णायक भूमिका निभाई है।

सोमवार को बडगाम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान BSF के IG अशोक यादव ने बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद इंटेलिजेंस से यह पक्की खबर मिली है कि आतंकियों के लॉन्च पैड्स को भारी नुकसान पहुंचा था, जिसके चलते अब उन्होंने अपने ठिकाने शिफ्ट कर लिए हैं।

ऑपरेशन सिंदूर: जब तोपों से दहला दुश्मन​

IG ने बताया कि साल 2025-26 की सबसे बड़ी उपलब्धि 'ऑपरेशन सिंदूर' रही। इसका पहला चरण 6 मई से 10 मई के बीच चलाया गया था। इस दौरान BSF की आर्टिलरी रेजिमेंट और अन्य यूनिट्स ने इंडियन आर्मी के साथ मिलकर LoC के पार पाकिस्तान की चौकियों और आतंकी ठिकानों पर सटीक और जोरदार फायर असॉल्ट किए।

इन हमलों में दुश्मनों के बंकर तबाह हो गए और उन्हें भारी जानी-मानी नुकसान उठाना पड़ा। इस कार्रवाई की सटीकता और प्रभाव को देखते हुए प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री (Defence Minister) ने भी जवानों की तारीफ की।

घुसपैठ की कोशिशें नाकाम, पर खतरा अभी टला नहीं​

BSF की इंटेलिजेंस विंग यानी जी ब्रांच (G Branch) लगातार दुश्मनों की हर हरकत पर नजर बनाए हुए है।

अशोक यादव ने बताया कि LoC के उस पार अभी भी करीब 69 लॉन्च पैड्स सक्रिय हैं, जहां लगभग 100 से 120 आतंकी घुसपैठ के इंतजार में बैठे हैं। उनके ट्रेनिंग कैंप्स पर भी निगरानी रखी जा रही है। हालांकि, इस साल जितनी भी बार घुसपैठ की कोशिश की गई, उसे सेना और BSF ने मिलकर नाकाम कर दिया।

इस साल सुरक्षा बलों ने कुल 22 साझा ऑपरेशन चलाए। इन ऑपरेशन्स में उत्तरी कश्मीर में कई आतंकियों को ढेर किया गया और भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए। बरामद हथियारों में AK-47 राइफल, MP-5 राइफल, चाइनीज ग्रेनेड्स और गोला-बारूद शामिल हैं।

पर्यटकों और यात्रा की सुरक्षा​

आम नागरिकों और पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर भी BSF ने अहम कदम उठाए हैं।

पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले के बाद गुलमर्ग जैसे महत्वपूर्ण टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर BSF की खास सीआई/सीटी (Counter Insurgency/Counter Terrorism) टीमों को तैनात किया गया है। वहीं, श्री अमरनाथ जी यात्रा के दौरान भी BSF की 128 कंपनियों ने चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा दी, जिससे यात्रा बिना किसी बाधा के पूरी हुई।

बदल रही है बीएसएफ: ड्रोन और महिला प्रहरी​

बदलते दौर में युद्ध के तरीकों को देखते हुए BSF खुद को आधुनिक बना रही है। ग्वालियर में नया ड्रोन वॉरफेयर स्कूल खोला गया है, जहां जवानों को ड्रोन बनाने, हथियार लगाने और दुश्मनों के ड्रोन जाम करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके अलावा, दिल्ली और अमृतसर में ड्रोन फॉरेंसिक लैब भी बनाई गई हैं।

लैंगिक समानता की मिसाल पेश करते हुए अब BSF की महिला प्रहरी (Mahila Troops) भी अग्रिम मोर्चों यानी एफडीएल (FDL) पर तैनात हैं। वे सीमावर्ती गांवों की महिलाओं के साथ तालमेल बनाकर खुफिया जानकारी जुटाने और तस्करी रोकने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

मदद के लिए हमेशा तैयार​

सुरक्षा के अलावा BSF ने स्थानीय लोगों के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए हैं।

चाहे भारी बर्फबारी में फंसे नागरिकों को बचाना हो या लैंडस्लाइड में फंसे पर्यटकों का रेस्क्यू, BSF के जवान हमेशा पहली कतार में खड़े मिले।

इसके साथ ही बॉर्डर पर रहने वाले लोगों के लिए मेडिकल कैंप और 'भारत दर्शन' जैसे कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं ताकि जनता और फोर्स के बीच भरोसा बना रहे।
 
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