IMRH और DBMRH हेलीकॉप्टर पर HAL ने अपने फंड से किया काम शुरू, सरकारी मंजूरी मिलते ही आएगी तेजी

IMRH और DBMRH हेलीकॉप्टर पर HAL ने अपने फंड से किया काम शुरू, सरकारी मंजूरी मिलते ही आएगी तेजी


हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारत के महत्वाकांक्षी हेलीकॉप्टर प्रोग्राम को लेकर एक बड़ी जानकारी साझा की है।

पेरिस एयर शो 2025 के दौरान, HAL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, डॉ. डी. के. सुनील ने बताया कि कंपनी अपने स्वदेशी 'इंडियन मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर' (IMRH ) और इसके नौसैनिक संस्करण 'डेक-बेस्ड मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर' (DBMRH) के डिज़ाइन और विकास पर अपने आंतरिक फंड से काम कर रही है।

HAL को अब सरकार की औपचारिक मंजूरी का इंतजार है, ताकि इस प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा किया जा सके।

क्या है यह हेलीकॉप्टर प्रोजेक्ट?​

यह प्रोजेक्ट भारत की तीनों सेनाओं की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है। इसके तहत 12.5-टन वजन वाला एक मीडियम-लिफ्ट हेलीकॉप्टर विकसित किया जा रहा है।

IMRH को भारतीय थल सेना और वायु सेना में पुराने हो रहे Mi-17 और Mi-17 V5 हेलीकॉप्टरों की जगह लेने के लिए तैयार किया जा रहा है।

वहीं, DBMRH को खास तौर पर भारतीय नौसेना के लिए बनाया जाएगा, जो नौसैनिक जहाजों के डेक से ऑपरेट कर सकेगा। इसका इस्तेमाल पनडुब्बी-रोधी युद्ध (एंटी-सबमरीन वारफेयर), खोज और बचाव अभियान (सर्च एंड रेस्क्यू) और सैनिकों को ले जाने जैसे कामों में किया जाएगा।

तीनों सेनाओं की कुल 550 से ज़्यादा हेलीकॉप्टरों की ज़रूरत को देखते हुए, यह प्रोग्राम भारत के रक्षा आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।

क्या होंगी इसकी खासियतें?​

इन हेलीकॉप्टरों को हर तरह के वातावरण में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है - चाहे वह लद्दाख जैसे ऊँचे पहाड़ी इलाके हों या हिंद महासागर का समुद्री क्षेत्र।

ये हेलीकॉप्टर एडवांस्ड एवियोनिक्स, आधुनिक ग्लास कॉकपिट और मॉड्यूलर वेपन सिस्टम्स से लैस होंगे।

इनमें दो इंजन लगाए जाएंगे, जो फ्रांस की कंपनी सैफरन के साथ मिलकर विकसित किए जा सकते हैं। यह इंजन हेलीकॉप्टर को ऊँचाई वाले और गर्म इलाकों में बेहतरीन परफॉरमेंस देगा।

नौसेना के लिए बनाए जा रहे DBMRH वैरिएंट में फोल्ड होने वाले रोटर ब्लेड और एक कॉम्पैक्ट डिज़ाइन होगा, ताकि इसे INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य जैसे विमानवाहक पोतों पर आसानी से तैनात किया जा सके।

प्रोजेक्ट में तेजी लाने की तैयारी​

डॉ. सुनील ने इस बात पर जोर दिया कि प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने के लिए "लॉन्ग-लीड एक्टिविटीज" की पहचान कर ली गई है और उन पर काम भी शुरू हो चुका है।

लॉन्ग-लीड एक्टिविटीज में उन महत्वपूर्ण हिस्सों का विकास शामिल होता है जिन्हें बनाने में सबसे ज़्यादा समय लगता है, जैसे इंजन, ट्रांसमिशन सिस्टम, रोटर ब्लेड और एवियोनिक्स। इन पर पहले से काम शुरू करके HAL का लक्ष्य विकास के समय को कम करना है।

कंपनी का लक्ष्य 2028 तक IMRH प्रोटोटाइप की पहली उड़ान भरना और 2030 के दशक की शुरुआत तक इसका उत्पादन शुरू करना है।

भारत के लिए क्यों है यह इतना ज़रूरी?​

यह प्रोग्राम भारत की हवाई क्षमताओं में एक बहुत बड़ी कमी को दूर करेगा।

अभी भारतीय सेना और वायु सेना मुख्य रूप से रूसी मूल के Mi-17 हेलीकॉप्टरों पर निर्भर हैं, जो मजबूत तो हैं लेकिन अब अपनी सर्विस लाइफ के अंत के करीब हैं।

इसी तरह, नौसेना पुराने हो चुके Sea King और Kamov हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रही है, जिनमें आधुनिक समुद्री अभियानों के लिए ज़रूरी सेंसर और हथियार नहीं हैं।

2016 के उरी हमले और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बढ़े तनाव ने यह साफ़ कर दिया है कि मुश्किल इलाकों में सैनिकों की तेजी से तैनाती और रसद पहुँचाने के लिए भारत को आधुनिक और ऊँचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हेलीकॉप्टरों की सख्त ज़रूरत है।
 
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