रिलायंस-डसॉल्ट की पेशकश: नौसेना के लिए भारत में बनेंगे Falcon 2000 MRA जेट, समुद्री निगरानी होगी और मजबूत

रिलायंस-डसॉल्ट की पेशकश: नौसेना के लिए भारत में बनेंगे Falcon 2000 MRA जेट, समुद्री निगरानी होगी और मजबूत


भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' अभियान को और मजबूती देते हुए, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और फ्रांस की मशहूर कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने मिलकर भारतीय नौसेना को एक खास विमान देने की पेशकश की है।

राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी Dassault अब रिलायंस के साथ मिलकर भारत में ही फाल्कन 2000 मल्टी-रोल जेट का निर्माण करेगी।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, इन दोनों कंपनियों ने भारतीय नौसेना को इस विमान का एक विशेष समुद्री संस्करण, Falcon 2000 MRA (मैरीटाइम मल्टी-रोल एयरक्राफ्ट) देने का प्रस्ताव रखा है।

यह विमान खास तौर पर समुद्र में गश्त लगाने और खुफिया निगरानी मिशनों के लिए तैयार किया गया है।

क्या है इस विमान की खासियत?​

फाल्कन 2000 MRA, जिसे Falcon 2000 Albatros के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो समुद्री क्षेत्र में कई तरह के ऑपरेशनों को अंजाम दे सकता है। इसे आधुनिक सिस्टम से लैस किया गया है, जिसमें शामिल हैं:
  • विमान के निचले हिस्से में लगा एक मल्टीफंक्शन रडार
  • बेहतरीन प्रदर्शन वाला ऑप्ट्रोनिक टरेट (एक तरह का कैमरा सिस्टम)।
  • निगरानी के लिए बनी खास खिड़कियाँ।
  • सर्च एंड रेस्क्यू (SAR) किट रिलीज़ सिस्टम, जो आपात स्थिति में मदद पहुँचाता है।
  • खास तरह के कम्युनिकेशन सिस्टम
इन तकनीकों की मदद से यह विमान निगरानी, जासूसी, दुश्मन के जहाजों का मुकाबला (एंटी-सरफेस वॉरफेयर), इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और नौसैनिकों की ट्रेनिंग जैसे कामों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।

अनेक मिशनों को अंजाम देने में सक्षम​

यह मल्टी-रोल विमान कई तरह के मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है।

इसमें समुद्र में फंसे लोगों या जहाजों को ढूंढने और बचाने (सर्च एंड रेस्क्यू) से लेकर समुद्री ट्रैफिक को नियंत्रित करना, दुश्मन की सतह पर मौजूद खतरों से निपटना और खुफिया जानकारी जुटाना शामिल है।

यह विमान दुश्मन के सिग्नल को पकड़ने और उनका विश्लेषण करने (इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस) में भी माहिर है।

इसके अलावा, इसका इस्तेमाल पर्यावरण की सुरक्षा, मेडिकल इमरजेंसी में लोगों को एयरलिफ्ट करने और हल्के उपकरणों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी किया जा सकता है।

'मेक इन इंडिया' को मिलेगा बड़ा impulso​

रिलायंस और डसॉल्ट के बीच यह साझेदारी भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने और विदेशों से होने वाले आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इन Falcon 2000 जेट्स का निर्माण नागपुर में स्थित डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) की फैसिलिटी में किए जाने की उम्मीद है। इससे न केवल देश में रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को भी बढ़ावा मिलेगा और भारत का एयरोस्पेस इकोसिस्टम और मजबूत होगा।

अगर भारतीय नौसेना इस विमान को अपने बेड़े में शामिल करती है, तो इससे भारत की समुद्री जागरूकता (मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस) और ऑपरेशनल क्षमताओं में जबरदस्त इजाफा होगा।

भारत की विशाल समुद्री सीमा और एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) की सुरक्षा के लिए यह एक रणनीतिक संपत्ति साबित हो सकता है, जो पारंपरिक और उभरते हुए दोनों तरह के समुद्री खतरों से निपटने में मदद करेगा।
 
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