ऑपरेशन सिंदूर में Saab 2000 के नुकसान के बाद पाकिस्तान अब Embraer Lineage1000E से बनाएगा अपना स्वदेशी AWACS

ऑपरेशन सिंदूर में Saab 2000 के नुकसान के बाद पाकिस्तान अब Embraer Lineage1000E से बनाएगा अपना स्वदेशी AWACS


'ऑपरेशन सिंदूर' में मिली करारी शिकस्त और भारी नुकसान के बाद पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF) ने अपनी भविष्य की योजनाओं में बड़ा बदलाव किया है।

PAF ने अब और अधिक Saab 2000 Erieye AWACS सिस्टम खरीदने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इसके बजाय, अब वे पाकिस्तानी नेवी के 'Sea Sultan' प्रोजेक्ट की तर्ज पर स्वदेशी तकनीक विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

पाकिस्तान एरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स (PAC) के सूत्रों के मुताबिक, इस नए प्रोजेक्ट का नाम 'प्रोजेक्ट ज़र्ब-ए-समा' रखा गया है। इसका मकसद कमर्शियल जेट विमानों का इस्तेमाल करके एक तेज रफ्तार वाला AWACS तैयार करना है, ठीक वैसे ही जैसे भारतीय वायु सेना ने Embraer प्लेटफॉर्म का उपयोग करके किया है।

यह फैसला मई में हुए संघर्ष में PAF को हुए भारी नुकसान के तुरंत बाद लिया गया है। रिपोर्ट्स और सैटेलाइट इमेजरी से पुष्टि हुई है कि भारतीय वायु सेना द्वारा लॉन्च की गई ब्रह्मोस एयर-लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल ने भोलारी एयरबेस पर खड़े एक Saab 2000 Erieye को पूरी तरह नष्ट कर दिया था।

हालात तब और बिगड़ गए जब एक दूसरे Erieye AWACS को भारतीय S-400 सिस्टम ने 314 किलोमीटर की दूरी से मार गिराया। यह S-400 का पहला कॉम्बैट शिकार था, जिसके लिए ग्रुप कैप्टन अनिमेश पत्नी को वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

इन घटनाओं ने PAF को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है।

अब पाकिस्तानी प्लानर्स भारतीय वायु सेना के नेत्रा Mk-1A और अपनी नेवी के सी सुल्तान से प्रेरणा ले रहे हैं। नई योजना के तहत, वे Embraer Lineage 1000E रीजनल जेट को बेस प्लेटफॉर्म के रूप में इस्तेमाल करेंगे।

यह Embraer E190 का ही एक वेरियंट है, जिसकी रेंज करीब 4,000 नॉटिकल माइल्स है और इसमें लगे Pratt & Whitney PW308G टर्बोफैन इंजन इसे मैक 0.82 की क्रूज स्पीड देते हैं। यह पुराने प्रोपेलर वाले विमानों की तुलना में कहीं अधिक तेज और सक्षम होगा।

योजना के अनुसार, PAC कामरा ब्राजील की कंपनी Embraer से सीधे 3 से 6 विमान खरीदेगा। रडार लगाने के लिए विमान के ढांचे में बदलाव का काम भी Embraer द्वारा ही किए जाने की उम्मीद है, ताकि हवा के दबाव को कम किया जा सके और रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) को घटाया जा सके।

रडार सिस्टम के लिए पाकिस्तान की नजर चीन के KLJ-7A AESA रडार पर है, क्योंकि यह सस्ता है और इसे JF-17 में पहले ही इस्तेमाल किया जा रहा है। वे जर्मनी के Hensoldt TRS-3D रडार पर भी विचार कर रहे हैं, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद जर्मनी द्वारा इसे निर्यात करने की संभावना कम ही है।

इस पूरे प्रोग्राम का बजट करीब 800 से 1000 मिलियन डॉलर रखा गया है और लक्ष्य है कि 2029 तक पहला प्रोटोटाइप उड़ान भर ले और 2032 तक दो स्क्वाड्रन तैयार हो जाएं।

हालांकि, इस प्रोजेक्ट को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। चर्चा है कि PAF 1990 के दशक की पुरानी जर्मन तकनीक का उपयोग करके अपना खुद का रडार विकसित करने की कोशिश कर सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि SUPARCO का ऑर्बिटल रडार का अनुभव इसमें कुछ मदद कर सकता है।

लेकिन कई डिफेंस एक्सपर्ट्स इसे लेकर बहुत आशंकित हैं। उनका कहना है कि कामरा में JF-17 का उत्पादन पहले ही बहुत धीमी गति से (सालाना केवल 8-10 विमान) चल रहा है और आर्थिक तंगी के बीच इतने बड़े और जटिल प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करना पाकिस्तान के लिए लगभग नामुमकिन जैसा है।
 
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