भारतीय वायु सेना और डिफेंस जगत के लिए एक बहुत ही उत्साहजनक खबर सामने आई है। भारत का अगली पीढ़ी का फाइटर जेट, तेजस मार्क 2 अब अपने विकास के बेहद महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर चुका है। ताजा जानकारी के मुताबिक, इस विमान के प्रोटोटाइप की व्यापक स्तर पर ग्राउंड टेस्टिंग शुरू कर दी गई है।
कब देख पाएंगे हम पहला विमान?
प्रोग्राम से जुड़े सूत्रों और मौजूदा काम की गति को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि तेजस मार्क 2 का रोलआउट मार्च 2026 से जून 2026 के बीच हो सकता है। रोलआउट का मतलब है वह पल जब पूरी तरह से तैयार विमान को पहली बार फैक्ट्री से बाहर लाया जाता है।अगर सब कुछ समय सारिणी के हिसाब से चला, तो मार्च के अंत तक ही हमें यह विमान देखने को मिल सकता है। हालांकि, अगर छोटे-मोटे तकनीकी सुधारों या कंपोनेंट्स की उपलब्धता में थोड़ी देरी हुई, तो यह समय सीमा खिसक कर 2026 के मध्य तक जा सकती है।
फिलहाल क्या काम चल रहा है?
इस समय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का पूरा फोकस सब-सिस्टम इंटीग्रेशन और ग्राउंड वैलिडेशन पर है।विमान के एयरफ्रेम को फाइनल असेंबली में भेजने से पहले उसके कई महत्वपूर्ण हिस्सों की कड़ी जांच की जा रही है।
इसमें एवियोनिक्स, हाइड्रोलिक्स, लैंडिंग गियर और पावर सिस्टम शामिल हैं।
इन अलग-अलग हिस्सों के लिए कई तरह के ग्राउंड ट्रायल प्लान किए गए हैं ताकि जब विमान के ढांचे को पूरी तरह जोड़ा जाए (स्ट्रक्चरल कपलिंग), तो उसमें कोई तकनीकी बाधा न आए।
रोलआउट के बाद क्या होगा?
एक बार जब विमान का रोलआउट हो जाएगा, तो परीक्षण का एक नया दौर शुरू होगा।सबसे पहले सिस्टम-लेवल ट्रायल्स होंगे और उसके बाद विमान को रनवे पर उतारा जाएगा। यहां लो-स्पीड और हाई-स्पीड टैक्सी ट्रायल्स किए जाएंगे।
इन टैक्सी टेस्ट्स के दौरान इंजन थ्रस्ट, फ्लाइट कंट्रोल रिस्पॉन्स, नोज व्हील स्टीयरिंग और ब्रेकिंग सिस्टम की क्षमता को परखा जाएगा।
यह चरण बेहद अहम है क्योंकि यही विमान की पहली उड़ान का रास्ता साफ करेगा।
पहली उड़ान कब?
मौजूदा प्रोजेक्शन के अनुसार, तेजस मार्क 2 अपनी पहली उड़ान साल 2026 के अंत तक भर सकता है।हालांकि, सुरक्षा मानकों और टेस्टिंग की बारीकियों को देखते हुए शेड्यूल में थोड़ा बहुत बदलाव संभव है, जिससे यह उड़ान 2027 की शुरुआत में भी हो सकती है।
तेजस मार्क 2 क्यों है खास?
तेजस मार्क 2 पुराने तेजस (मार्क 1A) का सिर्फ अगला संस्करण नहीं है, बल्कि यह उससे काफी बड़ा और ताकतवर विमान है। इसे मीडियम वेट फाइटर (MWF) श्रेणी में रखा गया है।यह विमान पुराने हो चुके मिराज 2000, जगुआर और मिग-29 की जगह लेने के लिए डिजाइन किया जा रहा है।
इसमें ज्यादा शक्तिशाली GE-414 इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा और इसकी पेलोड क्षमता यानी हथियार ले जाने की ताकत भी काफी ज्यादा होगी।
साथ ही, बेहतर मैन्युवेरेबिलिटी के लिए इसमें कैनार्ड्स का भी उपयोग किया जा रहा है, जो इसे हवा में दुश्मन पर भारी पड़ने में मदद करेगा।
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